रविवार, 10 मई 2009

उस दिन अम्मा छत पर आई....

अम्मा उस दिन छत पर आई,
हाथों में कुछ ले के आई,
मेरे चेहरे, मेरे माथे पर,
कुछ पोता कुछ लगाया,
मेरे चेहरे की उदासी और
माथे कि शिकन अपने हाथो में ले गयी,
एक नयी चमक,
एक नयी मुस्कान मेरे चेहरे को दे गयी,
गर्मी की जलती धूप को,
सर्दी की नरम धूप कर गयी,
अच्छा हुआ जो उस दिन अम्मा छत पर आई.....