वो एक ख्वाहिश है, अपनी आंखों से कुछ तलाशती है,
वो एक दरिया है, कभी हंसती कभी मुस्कुराती है,
वो कहीं दूर से आती आवाज़ है, सुनती है सुनाती है,
वो एक मीठी ग़ज़ल सी है, चुपके से दिल में उतरती है,
वो कहीं घास पर बैठी ओस जैसी है, नर्म नाज़ुक मगर हलकी सी है,
कभी शोखी सी घोलती है, फ़िर भी शीतल सी है,
सुना था कहीं चंचल सी है, छू कर देखा तो हलचल में भी थमी सी है,
आती है पास सोचकर की बैठेगी वो अभी, दूर तभी दिखती वो भागती सी है,
हर पल को महसूस सा करती है, अपनी बातो में हर रंग घोलती सी है,
नज़र को भी नज़ारे देखती दिखाती है, मोहती हर लम्हे को मोहिनी सी है