शुक्रवार, 18 जुलाई 2008

हम उनसे कहते हैं

हम उनसे कहते हैं,
ये काजल ज़रा हटालो,
जो खुद ही सुरमयी है,
उसे ऐसे क्यूँ ढकते हो,
हम उनसे कहते हैं,
ये पलके ज़रा उठा लो,
हम कबके थम गए हैं,
कुछ साँसे ज़रा दिला दो,
हम उनसे कहते हैं,
मेरे कंधे पर सर रख दो,
कोई दर्द तलाशे लम्हा,
उसे उसमें गुम होने दो,
वो कोर पर सिमटा आंसू,
बेताब है जो बहने को,
उसे बाँध के यूँ न रखो,
लबों को छू जाने दो,
तभी तो हर धड़कन का,
हर कतरा बोलेगा,
चलो ज़रा सा हंस ले,
ये गुज़रा लम्हा जी लें,
बस यूँ ही हम उनसे कहते हैं,

3 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

pyaar ko kaafi khubsoorti se shabdon ki mala mein pirote ho tum , zindagi ek ehsaas hai, iska ehsaas dilaate ho tum.
Minaxi

SUGANDHA ने कहा…

shayad yeh woh ehsaas hai jab koi eak lambe arse se roya nahi .......aur ess kadar rona chahta hai ki fir dobara kabhi na roye .....kabhi kabhi aansuon ki khamoshi apne aap hi cheekh cheekh kar chilane lagti hai ......

Shantanu ने कहा…

thnk you..Asmi..apne is soch ki ek aur nayi...disha dikhayi hai....!!!!!!!!