माँ !
सुनो ज़रा...बड़ा थक सा गया हूँ...
बड़ी याद सी आई है...
आपकी गोद में सर रख कर सोना है...
और माँ..
मेरी आँखों में अपने दाए हाथ से...
एक मोटी लकीर काजल की खींचना...
और उन्ही हाथों से...
माथे के बाए कोने पर...
एक टीका सा लगा देना...
अच्छा माँ सुनो न...
बड़े दिनों से वो थाली में परोसी दाल और चावल नहीं खायी...
वो प्याज की पकौड़ी और
हलवे की मिठास नहीं मिली...
माँ सच... बड़े दिन से तुम नहीं मिली.....
वैसे तो सब कहते हैं
बड़ा आगे निकल चुका हूँ...
पर मीलों क फासले पर
तुम ही को नहीं देख पता हूँ...
कभी तुम्हारी डांट...
तो कभी मीठी बात को तरसता हूँ...
ये सब नहीं मिलता माँ...
मैं तुम को तरसता हूँ....
तुम्हारे पास न होने से थक सा गया हूँ....
बस एक थपकी दे कर सुला दो...
ज़रा नींद आ जाये...
आज भी तुम्हारा आँचल...
दुनिया की हर धुप
और हर दर्द को दूर कर देता है...
माथे के बाए कोने पर...
एक टीका सा लगा देना...
अच्छा माँ सुनो न...
बड़े दिनों से वो थाली में परोसी दाल और चावल नहीं खायी...
वो प्याज की पकौड़ी और
हलवे की मिठास नहीं मिली...
माँ सच... बड़े दिन से तुम नहीं मिली.....
वैसे तो सब कहते हैं
बड़ा आगे निकल चुका हूँ...
पर मीलों क फासले पर
तुम ही को नहीं देख पता हूँ...
कभी तुम्हारी डांट...
तो कभी मीठी बात को तरसता हूँ...
ये सब नहीं मिलता माँ...
मैं तुम को तरसता हूँ....
तुम्हारे पास न होने से थक सा गया हूँ....
बस एक थपकी दे कर सुला दो...
ज़रा नींद आ जाये...
आज भी तुम्हारा आँचल...
दुनिया की हर धुप
और हर दर्द को दूर कर देता है...
2 टिप्पणियां:
Sachmuh bhai maa baap ki kami to hamesa khalti hai
if have u a great soul
Sachmuh bhai maa baap ki kami to hamesa khalti hai
if have u a great soul
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